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22 Mar 2022 · 1 min read

कविता

कवि की कल्पना जब लेखनी से प्रस्फुटित होती,
भावों में बहकर उद्गारें वनिता का स्वरूप लेती हैं।
मन के सागर को मथकर,शब्दों के निकले अमृत,
होती है रस की संचारें कविता का स्वरूप लेती है।।

रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृह जिला- सुपौल (बिहार)
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०- 9534148597

Language: Hindi
271 Views
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