कविता
जब भी मेरे बारे में लिखना
क्या लिखना क्या न लिखना
ना लिखना कजरारे नैना ना
सुरमा,मेंहदी फूल और गहना
ना चाँद और तारों – सी सूरत
ना मोम की गुड़िया- सी मूरत
लिखना तो बस यह लिखना
उठती अग्नि की ज्वाला सी
है तिमिर में एक उजाला सी
क्षितिज से ऊपर है परवाज़
क्रांतिकारी – सी है आवाज
लक्ष्य भेदती नज़र तीर सी
शब्दों में तलवार की धार
नहीं ओट में छिपी हुई है
ये तो है चिलमन के पार