कविता
जनता है मालिक भारत में
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जनता है मालिक भारत में,
जिसे मार देती महंगाई |
नेता हैं जनता के नौकर ,
नौकर खाते दूध मलाई | |
अंग्रेजों से मुक्ति मिल गई ,
बड़ा मजा है इस सुराज में |
मालिक विचर रहे जमीन पर ,
नौकर उड़ते हैं जहाज में | |
फटा पुराना मालिक पहनें,
नौकर पहनें रेशम , खादी |
मालिक को माला दुर्लभ है,
नौकर पहने सोना चांदी | |
ऐसी नीति बनी है मालिक ,
दिनों रात रहते हैं गम में |
नौकर सारे ऐश कर रहे ,
नहा रहे हैं व्हिस्की रम में | |
हैं अनाज मालिक उपजाते ,
पर खाते हैं चटनी रोटी |
अवधू जो उनके नौकर हैं,
बैठे लेकर बोतल बोटी | |
अवध किशोर ‘अवधू ‘
मो. न.9918854285