कविता
अंतरराष्ट्रीय कविता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
इस अवसर पर मेरी एक कविता
अंतर्मन के भावों का सुप्त और जागृत ख्वाबों का,
अंबर की नीली स्याही से सृजित धरा पर एक चित्र है…
चिंतन की अभिव्यक्ति कविता, कविता कवि की परम मित्र है…
जब निरीह के आंसू आते, जूठन बीनते क्षुधा बुझाते..
चिथड़ों में दिखते यौवन को, नर पिशाच भेड़िए खाते..
तब मन व्यथित बहुत होता है कवि हृदय कहां सोता है,
कविता का अभ्युदय होता, जो कवि का देदीप्य चरित्र है…
चिंतन की अभिव्यक्ति कविता, कविता कवि की परम मित्र है…
नाशवान है सब इस जग में सब कुछ नष्ट यही होना है..
जीवित है उसको मरना है, निर्जीवित को भी मिटना है..
लेकिन कविता अजर अमर है, परे समय से यह शाश्वत है,
निर्वातों में गुंजित ध्वनि है, दूर क्षितिज पर अमिट मंत्र है…
चिंतन की अभिव्यक्ति कविता, कविता कवि की परम मित्र है…
अब भी फुटपाथों पर सोते, अब भी कृषक प्राण को खोते..
न्यायालय से न्याय न मिलता, थाने में अस्मत को रोते..
नोटों से सत्ता में आते, सत्ता लेकर नोट कमाते,
तब भारत मां कविता रचती, निज संतति को अश्रु पत्र है…
चिंतन की अभिव्यक्ति कविता, कविता कवि की परम मित्र है…
भारतेंद्र शर्मा “भारत”
धौलपुर, राजस्थान