कविता
मुझको टोका है जिसने, उनको दिखाना बाकी है
जो समझे कमजोर मुझे, उसे पढ़ाना बाकी है
चल पड़ा है तू अब , समस्या आना बाकी है ।
इरादे नेक है , दरिया में चलना बाकी है।
अभी तो शुरुआत की है दौड़ना, भी बाकी है
अभी तो सुना है नाम मेरा, सपनों की उड़ान बाकी है ।
पढ़ ली है आपने मेरी कविता, बस आशीष देना बाकि है ।
✍️ आशीष गुर्जर पटेल
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