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11 Nov 2019 · 1 min read

कविता

सजना जबसे, तुम दूर गए l
दिल को करके, मजबूर गए ll
दिन -रात तुम्हें, प्रिय याद करूँ l
जब पीर बढ़े, तब आह भरूँ ll

बिन स्वार्थ करें, जब काम सभी l
मिलता जग में, पद, मान तभी ll
सुख में यह जीवन मस्त लगे l
मन में शुचि भाव , तथैव जगे ll

मन में पलता, जब द्वेष कहीं l
बचता कुछ भी, तब शेष नहीं ll
जब जीवन में,अँधियार रहे l
मन को खलता, उजियार रहे ll

साई लक्ष्मी गुम्मा ‘शालू ‘
आंध्र प्रदेश
#स्वरचित _मौलिक

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 377 Views
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