कविता
“मैं कौन हूँ”
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कौन हूँ मैं और क्या हूँ मैं?
प्रश्न का एक जवाब हूँ मैं।
(1)ईश्वर की भेजी दुनिया में
कोमल, बलशाली रचना हूँ,
रिश्तों की जीती परिभाषा
अरु धैर्य धारणी ललना हूँ।
(2)सत्य, अहिंसा, मानवता का
पहन वसन धरती पर आई,
लक्ष्मी, काली का रूप धरा
दुश्मन को भाषा सिखलाई।
(3)भर शक्ति अटूट निज बाहुबल
रचती आई इतिहास कई,
उर दीप जला विश्वासों के
त्योहार मनाए खास कई।
(4)अन्याय,पाप का कर विरोध
आगाज़ बनी ,अंजाम बनी,
दर्द पराए भी खुद सहकर
हर निर्बल का पैगाम बनी।
(5)हार-जीत को बिसरा करके
निर्भयता का कर्म सिखाया,
अस्त्र-शस्त्र सम कलम चलाकर
कवि जीवन का धर्म निभाया।
(6)शंख भी मैं, स्वर नाद भी मैं
गीता के श्लोक-सार भी मैं,
निज वंश की पहचान भी मैं
इस सृष्टि का आधार भी मैं।
डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी, (उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर