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10 Jan 2019 · 1 min read

कविता

इंतजार मे आँखें तरस रही दिदार एकपल का ही करा दे।
बैचेन लब कुछ कह कर रहे है
जरा ध्यान इधर लगा ले
सज सँवर कर तेरी राह जोट रही
तन्हा दुल्हन तूझमें रमने को तरस रही।
आ अब लौट आ चंद घडी भी साल लगती है
बिन तैरे सारी खूशीया भी निराश लगती है।

सोनु सुगंध –१३/०९/२०१८

Language: Hindi
1 Like · 262 Views
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