कविता
ये ठंडी ठंडी रात सुनी सुनी सी ,
है तो खामोश ,लेकिन बहुत कुछ कह रही।
पास तु नहीं फिर भी साथ है इस कदर
जैसे चांद की रोशनी उसके साथ है।
शर्द हवा छुकर जाती हे इस कदर
जैसे उसका एहसास छूकर गया है मुझे
कह गया जैसे कैसे कट रही रैना मेरे बिन
कौन बतलाये उसे बैठे है ये नैना ,उसकी याद मे
सारी रैना तारे गिन गिन।
सोनु सुगंध — २६/१२/२०१८