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30 Aug 2020 · 1 min read

कविता

किसी ने
लिखी नहीं
कभी कोई कविता
न कहा कोई गज़ल
न तारीफों के पुल बांधे
किसी ने मेरी सुन्दरता पे ।
न मेरे मुरझाने पर कोई दुख
जताया गया किसी भी विधा में।
क्योंकि मैं हमेशा-हमेशा रहा हूँ
हासिये पर,साहित्य और रचनाकारों के लिए।
जबकी हक़ीक़त बिल्कुल परे है अप्रत्यक्ष रूप से।
लेकिन ये दुनिया वाले बाहरी सुन्दरता से अधिक
प्रबभावित होतें हैं और मन की सुन्दरता
को अहमियत कम देतें हैं।
इसलिए तो मैं अपनी
हैसियत की पकड़ हूँ
क्योंकि मैं
जड़ हूँ।

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 242 Views
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