कविता : 15 अगस्त
राम कृष्ण की धरती है ये,
धरती पर है स्वर्ग यहाँ
लहराते खेतों की हरियाली ,
है हरा भरा परिधान यहाँ
बातों में गीतों के सरगम ,
हर राग का सुमधुर साज यहाँ
हर धर्म यहाँ ,हर रीति जाति का
हर बोली का सम्मान यहाँ ,
मधुवन उपवन के कुंजो जैसी ,
बहे शांति रसधार यहाँ
दसों दिशाओं में गूंजे ,
भारत मां का स्वर गान यहाँ
‘प्रभात ‘ आजादी के अमृत का महा उत्सव ,
हम सबको साथ मनाना है
आन बान और शान तिरंगा,
मिलकरके फहराना है
वीरों ने बलिदान दिया ,
अपना लहू बहाया है
भारत माता की रक्षा के लिए ,
अपना शीश कटाया है
वीरों का बलिदान अमर करने की ,
अब अपनी बारी आई है
धरती से अम्बर तक नभ में
प्यारी लाली छायी है
हो कहीं न अब खून की होली
दीवाली के दीप जलें
आओ अथक प्रयासों से
इस देश की नीव भरें | |