कविता…..
जब से तुम आई हो,
जग में बहार लाई हो,
जो था कभी सूनापन,
बन गया अब अपनापन,
देखने तेरी झलक,
अपलक हुए पलक,
नयन करें इंतजार,
दर्श दिखाओ एक बार,
कितना बतियाती हो,
मन को बहलाती हो,
अंतर्मन खुश होता,
जब संग तेरा पाता,
जब जब होता मायूस,
होने लगती तुम महसूस,
मन की सारी दुविधा,
बन जाती फिर सुविधा,
कभी तितली बनकर आती,
कभी नभ के तारे बन जाती,
झूमती हवाओं में बहती,
फूल बनकर खूब महकती,
जब साथ लेखनी होती,
फिर तुम न रोके रुक पाती,
मेरे शब्दों की तुम हो शैली,
ओ ! कविता तुम ही सहेली ,
—- जेपीएल