कविता
अटल बिहारी बाजपेई को श्रद्धांजलि
“मौन हो गया विश्व पटल”
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अटल, अडिग, समता संवाहक जग को राह दिखाता था।
हिंद देश का शिखर पुरुष बन अधिनायक कहलाता था।
घोर तिमिर जग पर मँडराया उगता सूरज निगल गया।
आशाओं के दीप जलाए वक्त हाथ से फिसल गया।
आज शब्द भावों से रूँठे मौन हो गया विश्व पटल।
अश्रु पूरित नयन छलकते जग ने खोया लाल अटल।
कलयुग का बन भीष्म पितामह जिसने गौरव पाया था।
स्वर्णाक्षर में अंकित जिसने नव इतिहास बनाया था।
राजधर्म, मर्मज्ञ अनूठा ,सत्यनिष्ठ दर्शन ज्ञानी।
राज मुकुट पर कोहिनूर सा चमक रहा ये बलिदानी।
निर्भयता का अतिशय दाता इसको शीश नवाएँ हम।
नीलांबर का ध्रुवतारा ये जीवन ज्योति जलाएँ हम।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)
संपादिका- साहित्य धरोहर