कविता
कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष
शिक्षा से रहे ना कोई वंचित
संग सभी के व्यवहार उचित
रहे ना किसी से कोई कर्ष
कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष
भले भरत को दिलवा दो सिंहासन
किंतु राम भी वन ना जायें सीता संग
सबको समान समझो सहर्ष
कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष
मिलें पुत्रियों को उनके अधिकार
पर ना हों पुत्रवधुओं पर अत्याचार
ईर्ष्या रहित हो हर संघर्ष
कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष
मनुष्य महान होता कर्मों से
देश श्रेष्ठ होता हर धर्मों से
हो सदैव भारत का उत्कर्ष
कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष
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:- आलोक कौशिक
संक्षिप्त परिचय:-
नाम- आलोक कौशिक
शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य)
पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन
साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में दर्जनों रचनाएं प्रकाशित
पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101,
अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com