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25 Sep 2022 · 1 min read

कविता हास्य

ओ रे छलियें सनम तू डूब मरना ,
कुएं नहीं खाहीं नहीं ।
मेरे सौतन की परछाई। में।
ओ थे छलियें सनम तू डूब मरना।
उसकी तन्हाई में _ आपकी

Language: Hindi
265 Views
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