कविता हास्य
ओ रे छलियें सनम तू डूब मरना ,
कुएं नहीं खाहीं नहीं ।
मेरे सौतन की परछाई। में।
ओ थे छलियें सनम तू डूब मरना।
उसकी तन्हाई में _ आपकी
ओ रे छलियें सनम तू डूब मरना ,
कुएं नहीं खाहीं नहीं ।
मेरे सौतन की परछाई। में।
ओ थे छलियें सनम तू डूब मरना।
उसकी तन्हाई में _ आपकी