कविता :– संघर्ष
कविता :– संघर्ष !!
संघर्ष करो ! संघर्ष करो !
संघर्ष करो ! संघर्ष करो !!
संघर्ष हो जीने का मक़सद ,
संघर्ष बिना क्या जीना है !
पर जो संघर्ष ना कर सके ,
जीने से बेहतर मरना है !
“संघर्ष”शब्द में “हर्ष” छिपा ,
जो खुशहाली लाता है !
संघर्ष ना करने वालों का
मस्तक नीचा हो जाता है !!
आकर के इन राहों में
जीवन में उत्कर्ष भरो !
संघर्ष करो ! संघर्ष करो !
संघर्ष करो ! संघर्ष करो !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”