कविता – शैतान है वो
जिस इंसा से
डरते इंसां
शख्स नहीं
इंसान है वो
इंसानों के
भेष में आया
जालिम एक
शैतान है वो
हिंसा कभी
प्रेम नहीं होगी
कभी कुशल
क्षेम नहीं होगी
जो यह समझे
डरा के जीतो
आतंकी
नादान है वो
देखो मुड़
इतिहास को देखो
तलवारों के
त्रास को देखो
नाश हुआ है
केवल जिससे
म्यान छुपा
हैवान है वो ..