कविता शब्दों का जाल नहीं
साधन है शब्द तो,
साधना है कविता,
जीवन के ताने-बाने से बनी,
भावना है कविता।
हृदय के उद्गारों से पनपी,
अभिव्यक्ति है कविता,
शब्दचित्रों से बनती,
आंतरिक संवेदना है कविता।
छंदों को संगीतात्मक रूप देती,
गेयता है कविता,
अमूर्त को मूर्त रूप प्रदान करती,
कल्पना है कविता।
अलंकारों को सुंदर रूप देती,
अलंकृता है कविता,
वीररस का बखान देती,
शौर्य गाथा है कविता।
प्रभु प्रेम से जुड़ जाए तो,
भक्ति स्वरूपा है कविता,
विरह की पीड़ा बयाँ करती,
विरहिणी सी है कविता।
वात्स्लय को सुन्दर रूप देती,
मेरी माँ सी है कविता,
कवि की कलम से सर्वजन तक पहुँची,
हृदयग्राही है कविता।
हाँ,कविता केवल शब्दों का जाल नहीं,
हर्ष-विषाद के भावों से जुड़ी,
कवि की पहचान है कविता।।
✍स्वरचित
माधुरी शर्मा मधुर
अंबाला हरियाणा।