कविता : रिश्तों में बिखरा हुआ
रिश्तों में बिखरा हुआ, मगर धूप-सम निखरा हुआ।
जीवन चलता है यहाँ, रंग-बिरंगा सँवरा हुआ।।
रिश्ते नाजुक हैं सभी, छेड़ो न कभी तुम भूलकर।
विश्वास भरो प्यार से, खो जाएँ न कभी टूटकर।।
दर्द मिलेगा चैन भी, शहनशीलता अपनाइये।
समझ दिखाकर छंद-सी, कविता-सा इन्हें बनाइये।।
आसान नहीं जोड़ना, पर मुश्क़िल भी होता नहीं।
जुड़े रहें बंधन सभी, मनुज धैर्य गर खोता नहीं।।
शक्ति बहुत है प्रेम में, रिश्तों को इससे सींचिए।
भेदभाव करके कभी, आँखें अपनी मत मींचिए।।
त्याग दया उपकार ले, क्षमा भूल मुख मत मोड़िये।
टूटा मोती झुक उठा, फिर माला में हँस जोड़िये।।
#आर. एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना