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27 Jun 2023 · 1 min read

कविता : रिश्तों को समझिए

रिश्तों को समझिए और तुम, जीवन ख़ुशहाल बनाओ।
इन्हें प्रेम से सींचो प्रतिपल, चाहत के रंग लगाओ।।
मतभेद चले मनभेद नहीं, सोचो समझो समझाओ।
कभी न टूटे उस बंधन में, बँधो बाँधते तुम जाओ।।

नहीं बड़ा-छोटा कोई भी, आदर मान करो सबका।
मिलनसार हो हृदय तुम्हारा, हरकोई बंदा रब का।।
बड़े बुज़ुर्गों से प्रेम करो, प्यार बराबर वालों से।
छोटो पर तुम स्नेह लुटाओ, आँगन भरे उजालों से।।

हर रिश्ते की अपनी महिमा, सत्कार सभी का अपना।
व्यवहार करो सबसे ऐसा, टूटे न किसी का सपना।।
छल बल से नहीं प्रेम से, रिश्ते-नाते हो जाएँ।
जुड़े बने ऐसे ये ‘प्रीतम’, दूर न दिल से हो पाएँ।।

#आर. एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना

2 Likes · 76 Views
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