कविता : याद
कविता: याद
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उसकी आखिरी बात याद है,
उसकी आखिरी फरियाद याद है।
करती है प्यार मुझसे छुपकर,
उसकी आखिरी मुलाकात याद है।
उसकी आखिरी बात याद है……….
हूं मैं सवाल गर तो वो मेरा जवाब है,
कहते हैं शायर मुझे वो मेरी किताब है।
झांका मैंने उसके दिल के कोनों में,
पाया मेरी खुशी ही उसका ख्याब है।
पहली नजर में पहचाना था उसने,
हंसता हुआ वो आदाब याद है।
उसकी आखिरी बात याद है………..
उसकी भीगी पलकें कुछ कहती,
मेरी जुदाई में गंगा- जमना बहती।
गुस्सा करती मौहब्बत के नाम से,
फिर भी बिछड़ने से बहुत डरती।
कुछ ना कह के बहुत कुछ कह गयी
उसकी मीठी वो आवाज याद है।
उसकी आखिरी बात याद है…………
शान्त सी बैठी थी वो पूरे रास्ते,
कभी-कभी मुस्कराती मेरे वास्ते।
पूछा जब उससे उदासी का कारण,
बोली- आई हूं मै बिना नाश्ते।
मौका मिला और कुछ खाया हमने,
आज भी उस भोजन का स्वाद याद है।
उसकी आखिरी बात याद है………….
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स्वरचित कविता 📝
✍️रचनाकार:
राजेश कुमार अर्जुन