~* कविता *~ मेरे मन की नायिका
~* कविता *~
मेरे मन की नायिका
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देखा तुम्हे, नज़र फिर कहाँ हटने वाली ,
वही नज़ाकत, वही अदा, इठलाने वाली l
बिन तारों के छेड़ती है, ग़ज़ल मतवाली ,
अपलक सौंदर्य की मेनका, स्वर्ग वाली l
मुखड़ा छुपाती, लट बलखाती घुंघराली ,
उमड़ती घुमड़ती बदली हो, काली काली l
कहती तेरे गालो की ये, सुर्ख सी लाली ,
बस अब नई सुबह है, जैसे होने ही वाली l
कपकपाते अधर, होले से कुछ कहने वाली ,
हे कली अब कमल की, कोई खिलने वाली l
ठुमकी चाल,बलखाती आँचल लहराने वाली ,
यूँ लगे, लदी फूलों की हो कोई नाज़ुक डाली l
नयन कटीले कमान, तीखे तीखे बाणों वाली ,
सुध बुध खो, घायल कर, मन को हरने वाली l
नाज़ुक कलाई है, अब तब लचकने ही वाली ,
थाम लूँ बांह तेरी मैं, अब मन ललचाने वाली l
नख शिख भाव विभाव, मूरत सुंदरता वाली ,
दिखती ये तो वही कल्पना,मेरी कविता वाली l
कैसे काबू करें कवि, मन अब तो हरने वाली ,
मेरे मन की नायिका, अब मुझे मिलने वाली l
किरण पांचाल