कविता-मेरी किस्मत को मेरे पापा ने बनाया।
हाथों की लकीरों को जन्म से मैंने पाया,
पर मेरी किस्मत को मेरे पापा ने बनाया।
मेरे लिए आप लगे सपने सजाने,
मेरे भविष्य को उज्ज्वल बनाने,
लगे आप अपना पसीना बहाने,
अपने ख्वाबों को मेरे सपनों से मिलाया
मेरी किस्मत को मेरे पापा ने बनाया।
माँ के आँचल में मैंने पाए सुख सारे,
तेरी छत्रछाया में दूर हुए दुख हमारे,
खुशियों के भर दिए आपने भंडारे,
सुरक्षा का अहसास मुझे हरदम दिलाया,
मेरी किस्मत को मेरे पापा ने बनाया।
हर कदम पर आपका हाथ पकड़कर,
चलना सीखा मैंने संभल संभलकर,
नैतिक मूल्यों का हरदम पाठ पढ़ाकर,
समाज में सम्मान से मुझे रहना सिखाया,
मेरी किस्मत को मेरे पापा ने बनाया।
हाथों की लकीरों को जन्म से मैंने पाया,
पर मेरी किस्मत को मेरे पापा ने बनाया।
By:Dr Swati Gupta.