कविता में मुहावरे भाग दो
उल्टा चोर कोतवाल को ही डांटे,
चोरी का माल आधा आधा बांटे।
जब बंटवारा ठीक से न हो पावे
एक दूजे की खड़ी करते हैं खाटे।।
हाथ कंगन को अब आरसी क्या,
पढ़े लिखे को अब फारसी क्या।
जो पढ़ लिख चुके काफी आज,
उनको नौकरी मिलती है क्या।।
मजबूरी में गधे को बाप बनाना,
अपने काम किसी तरह बनाना।
जब काम उससे तुरंत बन जाए,
गधे को फिर से ही गधा बनाना।।
बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी,
कभी न कभी तो उसकी मौत आयेगी।
मौत तो एक दिन सबको आती है
कब तक उसके खातिर ईद न मनायेगी।।
नौ नगद लो न करो तेरह उधार,
इससे ही चलेगा बढ़िया व्यापार।
जो सदा उधार बांटता ही रहता,
उसका जल्द बंद होता व्यापार।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम