कविता – मुफलिस गरीब मैं हूं औकात क्या हमारी
मुफलिस गरीब मैं हूं
औकात क्या हमारी
जीवन की इक्क्षा इतनी
लिखूं गीत और कहानी
चारों तरफ मुश्किले और्
घेरें हुए है उलझन
फिर न जाने दुनिया
क्यों कहता हैं मुझको रौशन
कुछ खास नहीं हैं मुझ में
न हैं कोई होशियारी
जीवन की इक्क्षा इतनी
लिखूं गीत और कहानी
वक्त ने हमेशा दिया मुझे निराशा
सोच में पड़ा हूं कैसे पुरा ह़ोगी आशा
कौन पकड़ेगा हाथ मेरा कौन पास मुझे बैठाएं
गरीब जन्में जग में शायद गरीब ही मर जाएं
पर आप के हाथ साहेब क्यों सर पर मेरे आएं
मुस्कुरा के जिसको देखूं वो फटकार कर भगाएं
जग का मालिक हुआ न अब कौन है हमारी
जीवन की इक्क्षा इतनी लिखूं गीत और कहानी
कर्जा की बोझ मुझ पर गीरी हुई है झोपड़ी
सिर्फ सर पर है आस्मां और छोटी परी हैं धरती
रौशन करने जग को उगते हैं रोज सुरज
मेरे अंधकार को ना मीटा सका सुरज
कविता – रौशन राय के कलम से
तारीक – 11 – 10 – 2021
मोबाइल – 9515651283 / 7859042461