कविता – माँ
माँ
माँ दृष्टि है , माँ सृष्टि है ,
माँ जीवन , आनंद वृष्टि है ।
माँ निष्ठा है , माँ प्रतिष्ठा है ,
माँ सृष्टा है , माँ द्रष्टा है ।
माँ हर्ष है , माँ उत्कर्ष है ,
माँ संघर्ष है , माँ आदर्श है ।
माँ पूर्णा है , माँ करुणा है ,
माँ अरूणा है , माँ सम्पूर्णा है ।
माँ सजल है , माँ कमल है ,
माँ अमल है , माँ सफल है ।
माँ चंदन है , माँ उपवन है ,
माँ गुंजन है , माँ वंदन है ।
माँ जन्नत है , माँ मन्नत है ,
माँ अस्मत है , माँ खिदमत है ।
माँ सरल है , माँ तरल है ,
माँ अविरल है , माँ विमल है ।
माँ सबल है , माँ अचल है ,
माँ संबल है , माँ निश्छल है ।
माँ रतन है , माँ जतन है ,
माँ मनन है , माँ वतन है ।
माँ मगन है , माँ लगनहै ,
माँ चमन है , माँ नमन है ।
माँ ममता है , माँ क्षमता है ,
माँ समता है , माँ चलता है ।
माँ नरम है , माँ परम है ,
माँ चरम है , माँ धरम है ,
माँ भक्ति है , माँ शक्ति है ,
माँ युक्ति है , माँ मुक्ति है ।
कवि – सुनील नागर