कविता : महिमा कथा पुराण की
प्रातः वंदना करो सदा ही, शाँत काँत मन होगा।
मंगलमय दिन बीते पूरा, हर क्षण पावन होगा।।
बुद्धि-शुद्धि करने वाली है, वांछित फल देती है।
महिमा कथा पुराण की सुनो, पीड़ा हर लेती है।।
भाव मिटाकर बुरे हृदय के, तन-मन चंदन होगा।
सदाचार की राह दिखाए, पुण्य कर्म करवाए।
मिलनसार चित को करती है, विजय बड़ी दिलवाए।।
पग-पग पर ये बने सहारा, जीवन मधुबन होगा।
मानवता का पाठ पढ़ाए, रीद्धि-सिद्धि मिल जाए।
भाग्य सुधारे कर्म निखारे, विपदा हर टल जाए।।
श्रवण मनन कर चिंतन इसका, पलपल नूतन होगा।
कलियुग में हितकारी बनके, यश वैभव लाएगी।
अविरल रस पान करो इसका, बल यह बन जाएगी।।
महिमा कथा पुराण की बड़ी, समझो समझाओ तुम।
स्वयं सुनो प्रातः वंदना में, और सुनाओ भी तुम।।
भव-सागर से पार लगाए, नित दिन वाचन होगा।
#आर. एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना