कविता दिवस!
करुणा से कविता, और कविता से करुणा से दोनों ही घायल होते हैं।
दोनों हंसते भी साथ, साथ और साथ, साथ ही रोते हैं।
कविता सहृदय में बसती है।
लयो, और गीतों की हस्ती है।
कविता प्रेम का सागर है,एक घड़े में सागर को डुबोता है।
कभी आग को,आग से लड़ाता है।
कविता प्रेयसी की मादकता को उजागर करती है।
विरह की पीड़ा को पल भर में हरती है।