कविता चोरों को सप्रेम भेंट
कविता चोरों को सप्रेम भेंट
चुराकर साइकिल कोई अपने सीट भर बदली आज वह आपकी है
सभा से झटककर संडिल उसे फिर दी करा पालिस अतःवह आपकी है
जमी तैयार कविता की न करना आपके बस का अतः कुछ ही बदल कर
अन्य की हो बनी कविता भले ही लाख रूपों की आपके बाप की है
अवध किशोर अवधू
मोबाइल नंबर 9918854285