कविता- घर घर आएंगे राम
कविता- घर घर आएंगे राम
आनंद शर्मा
अब कोई न भूखा सोएगा,
न कोई मज़दूर,
अपना हक खोएगा,
न भष्टाचार होगा,
न अतिकार होगा,
बस चारों दिशाओं में,
खुशियों का संचार होगा
क्योंकि…
मेरे राम आए हैं ।
सच बोलने वालों की,
कोई हत्या नहीं करेगा,
किसान अब,
कर्ज़ से नहीं मरेगा,
हर बच्चे को पढ़ने का
मौका अब मिलेगा
हर गरीब के घर
सम्मान का चूल्हा जलेगा
क्योंकि…
मेरे राम आए हैं।
कोई अमीर
किसी ग़रीब को,
लूट नही पाएगा।
हर बलात्कारी,
अब जेल जायेगा।
स्त्रियों का भीड़ में
अपमान नहीं होगा
भ्रष्टाचारियों का
राजनीति में सम्मान
नहीं होगा
क्योंकि…
मेरे राम आए हैं।
जात-पात का कोई,
भेद न होगा।
युवाओं में धर्मांधता,
का आवेग न होगा।
हर हाथ को अब,
काम होगा।
और…
नेताओं का हर काम,
अब निष्काम होगा।
क्योंकि…
मेरे राम आए हैं।
किंतु यदि
सत्ता का अहंकार होगा,
भाई-भाई में न प्यार होगा,
हिंसा का व्यापार होगा
और…
झूठ का पारावार होगा
तो कैसे आयेंगे मेरे राम?
बस मूर्ति बन रह जाएंगे राम
घर-घर न आएंगे मेरे राम
मूर्ति बन रह जाएंगे मेरे राम
– आनंद –