(कविता ) गीतिका !! लौट जाएं !!
दिल मेरा कह रहा..
मंद बयार बह रहा..
मुहब्बत भरी..
शरारत हरी..
मौसम में खो न जाएं..
चलो अब घर लौट जाएं..
वो नजारा सुहाना..
वो मदमस्त ज़माना..
घटा दोपहरी…
यादें सुनहरी…
हमको फिर से बुलाएं…
चलो अब घर लौट जाऊं…
दिल है मचलता…
हजारों उछलता…।
शोख़ कलियां…
झुमती डालियां…
सौ सौ ख्वा़ब दिखाएं….
चलो अब घर लौट जाएं…
याद है अबतक…
मीत थे हमतुम…
तुम्हारा मुस्कुराना…
मेरा लिपट जाना…
दिल में आग लगाएं…
चलो अब घर लौट जाएं…..
स्व रचित डॉ. विभा रजंन (कनक)