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31 Aug 2023 · 1 min read

कविता के नाम पर बतकुच्चन/ musafir baitha

’प्रगतिशील’ कविता बेसिकली बेसिरपैर के बिंबों–प्रतीकों–मुहावरों–अलंकारों वाली बतकुच्चन होती है।

यह परंपरा से सवर्णों एवम् उच्च जातीय बनियों की फ़सल थी, जिसमें अब देखादेखी बहुजन भी मुंह मार रहे हैं।

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