“ कविता की पूजा “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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कवि को बंधन
में मत बांधों
उसे अपनी बात
तो कहने दो
मूल्यांकण हर
विषयों का हो
खुलकर बातें
सबसे करने दो !!
रवि किरण
पहुँचने से पहले
कवि को कोई
ना रोक सका
अवरोधक सब
के पथ पर है
कवि को कोई
ना टोक सका !!
राष्ट्र -भक्ति
उद्वेलित करके
स्वतंत्रता का
गान लिखा था
लोगों को
अपनी कविता में
मिटने का
संदेश दिया था !!
इनके गीतों के
लय पर हम
क्रांति- गीत
मिलकर गाते थे
जब तक ना
मिली आजादी
हम मिलकर
ढ़ोल बजाते थे !!
सब कुछ
परिवर्तन होता है
कविता नहीं
बदलती है
बस विषय
बदल जाने से
ही कविता
रूप सजाती है !!
सत्यम ,शिवम ,
सुंदरम वाली
सब कविता को
आसान करें
भाषा निर्मल,
लय का संगम
देकर साहित्य
का सम्मान करें !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड़
दुमका
झारखंड
08.06.2022.