कविता कीर्तन के है समान –
– कविता कीर्तन के है समान
तुम्हारे ऊपर लिखी पंक्तियां,
मेरे लिए साहित्य के है
समान,
तुम्हारे ऊपर लिखे जो अक्षर ,
है मोतियों के समान,
तुम्हारी बराबरी है चांद से,
हिंदी साहित्य की उपमा का है नाम,
मेरे लिखे तुम पर जो छंद,
माथे की बिंदिया के है समान,
मेरे लिखे अलंकार तुम पर,
हो तेरे बालो के गजरे के समान,
तुम्हारे ऊपर मेरे द्वारा लिखी कविताएं है मेरी लिए कीर्तन के समान,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान