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24 Jan 2024 · 1 min read

कविता कि प्रेम

कविता की प्रेम
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रचनाकार:- डॉ विजय कुमार कन्नौजे छत्तीसगढ़ रायपुर आरंग अमोदी।
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मैं शुक्रगुजार हूं अपने चहेते गुरदेव का
ऊंगली पकड़ाया,कविता से प्रेम का।।
कविता,कविता,कविता,नजर पे झुलती है।
मानों बाग में गुलाब,कई ऱगो में झुमती है।।

में शुक्रगुजार हूं अपने प्राप्त संस्कार का।
साहित्य का ज्ञान ,शब्दकोश भंडार का।।
आभारी हूं मैं अपने सद्गुरु महाराज का।
नित्य नमन हृदय से,प्यारा हिंदुस्तान का।।

मै शुक्रगुजार हूं अपनी कविता के प्यार का।
मातृभूमि को कर नमन,नमन मददगार का।।
कविता हो गई जीवन संगिनी,मुझ नादान का
शुक्रगुजार हूं मैं, वीणा वादिणी वरदान का।

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Language: Hindi
146 Views

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