कविता-कश्ती
भावों की सरिताएँ आकर
मन-सागर में मिलती जायें।
कल्पना की लहरें लाकर
मोती तट पर रखती जायें।।
मेघ सरिस साहित्य -गगन में
आन्दोलित इस सागर उपर।
बढ़ती जाये,तिरती जाये
मेरी कविता-कश्ती अविरल।।
मोती प्रसाद साहू
भावों की सरिताएँ आकर
मन-सागर में मिलती जायें।
कल्पना की लहरें लाकर
मोती तट पर रखती जायें।।
मेघ सरिस साहित्य -गगन में
आन्दोलित इस सागर उपर।
बढ़ती जाये,तिरती जाये
मेरी कविता-कश्ती अविरल।।
मोती प्रसाद साहू