*कविता कम-बातें अधिक (दोहे)*
कविता कम-बातें अधिक (दोहे)
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1
कविता कम-बातें अधिक, करते हैं श्रीमान
कहलाते हैं आजकल, यह ही लोग महान
2
नोकझोंक में चल रहे, द्विअर्थी संवाद
क्रिया और सब प्रतिक्रिया, पहले से है याद
3
होता है हर कार्यक्रम, दो-दो घंटे देर
मेहमान सब कह रहे, यह कैसा अंधेर
4
बॅंटते हैं अब थोक में, शॉल और सम्मान
लगना लाइन में पड़ा, मुश्किल में है जान
5
लाखों रुपए हो रहा, कवियों को भुगतान
कहॉं बुलाना अब रहा, पेशेवर आसान
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451