कविता अंतराष्टीय दिवस
कविता बोली कविता से,
जन्म दिवस आज है मेरा।
इसे ठाठ से तुम मनाओ,
केक मोमबत्ती की जगह,
रस छंद अलंकार लगाओ।
कविता बोली कविता से,
मेरी हुई है नई नई शादी,
मै तो हनीमून पर जाऊ।
हनीमून से लौटकर ही,
तेरा जन्मदिवस मनाऊं।
सुनकर ये बाते उसकी,
कविता ही गई निराश।
जन्मदिवस की नही रही,
उसको कोई भी आस,
पर मन में था विश्वास।
कविता कवियों से बोली,
बुलाओ सब कवियों को,
अब तुम सब मेरे पास,
कवि गोष्ठी हम करेंगे,
कोई भी न होगा निराश।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम