कविताओं में मुहावरे पार्ट दो
कविताओं में मुहावरे पार्ट 2
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चूहे को मिली हल्दी की गांठ पंसारी बन बैठा,
दो चार शब्द लिखने आ गए कवि बन बैठा।
आया एक कवि ऐसा हमारी कवि गोष्ठी में,
सुनता किसी की नही सुनाने को वह बैठा।।
आता नही नाचना,आंगन को बताता है टेढ़ा,
खुद को सीधा साधा,सबको बताता है टेढ़ा।
झांक ले अगर कोई अपने गिरेबान में एक बार,
बंदा बतायेगा नही वह किसी को भी टेढ़ा।।
तेल देखो जरा तेल की धार देखो,
खुद के गिरेबान में झाक कर देखो।
पता लग जाएगा तुम कितने पानी में हो,
खुद को जरा तुम अजमा कर तो देखो।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम