कविताएं लिखती हूँ मैं।
कवियत्री हूँ,कविताएं लिखती हूँ मैं,
मन के भावों को, पन्नों पे रचती हूँ मैं,
सप्तरंगी सपनें, जो देखें मैंने,
इंद्रधनुष के रंगों में, रँगती हूँ मैं,
इस दिल में मेरे हैं,अरमां कई
शब्दों में अरमां अपने पिरोती हूँ मैं,
देश के हाल कैसे,बताऊँ किसे,
जिक्र इसका कविता में लाती हूँ मैं,
किसी को सुध ही नहीं, सब मदहोश हैं,
नित नए काव्य से,सबको जगाती हूँ मैं,
कवियत्री हूँ,कविताएं लिखती हूँ मैं,
मन के भावों को, पन्नों पे रचती हूँ मैं।
By:Dr Swati Gupta