कविताएँ
जब-जब दिल को ठेस लगी
हँसा जगत,रोयी कविताएँ
करुणा के झरने बरसाकर
मुस्काकर रोयी कविताएँ।
तब हँसा जगत,दिल घबराया जब
प्यार लुटाकर रोयी आँखें
दिल का जकड़न,भीगी आँखें
देख-देख बिलखी कविताएँ।
कविताओं के अक्षर-अक्षर
नेह-स्नेह की परिभाषाएँ
दिल का दीप हुआ जब विह्वल
हँसा जगत,रोयी कविताएँ।
हम दिल पर क्यूँ चोट करें
क्यूँ कविता पर वार करें
सब लोग सुखी हों, हँसे जगत
खुश हो,हँसती जाएँ कविताएँ!
सब उलझन से दूर रहें सब
बस हँसती जाएँ कविताएँ
नेह स्नेह की झूमे डाली
मुस्काएं ,खुश होकर गाएँ!
कभी न हो कोई भी विह्वल
सब गाते जाएँ कविताएँ!
दिल पर किसी के बोझ रहे ना
हँसती ही जाएँ कविताएँ!
मुस्काती जाएँ कविताएँ!
–अनिल मिश्र,प्रकाशित