कवम से लिखते जाएंगे
**** कलम से लिखते जाएंगे ***
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धुन की लय पर थिरकते जाएंगे
भाव को कलम से लिखते जाएंगे
कैसे भी नसीब हो जो हमें पल
हर पल आनंद से हम बिताएंगे
चाहे हो मजबूरी या करें जी हुजूरी
दिल से सुनेंगे और दिली सुनाएंगे
जो भी देंखेंगे दृश्य और परिदृश्य
शब्द माला में श्वैत मोती सजाएंगे
गमज़दा या खुशनुमा हो जिंदगी
हर क्षण खुशी खुशी से बिताएंगे
आँखे झुकाएँ या आँखें दिखाएं
हर परिस्थिति में हम मुस्कराएंगे
मनसीरत हाथों से नहीं जाने देगा
नजाकत से वक्त को हम भुनाएंगे
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)