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6 Sep 2021 · 1 min read

कवच

नई इक नीव रखनी है ज़माने को जगाना है
सुनो फलदार वृक्षों को, जतन कर अब बचाना है
तले बैठे हो तुम जिनके , कभी मत काटना जड़ से
कवच वो तुमरे जीवन का, उन्हीं से आशियाना है

© डॉ0० प्रतिभा ‘माही’ पंचकूला

Language: Hindi
2 Likes · 398 Views
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