कल पर कोई काम न टालें
बदल गए अब ढंग प्रसव के
अब न पुजायी जाती पाटी।
संस्कार सम्बोधन बदले
बदल गई युग की परिपाटी।।
बदले खेल, खिलौने बदले
बदल गए रंजन के साधन।
बदल गई अब शिक्षा दीक्षा
बदल गए वादन अभिवादन।।
बदले नगर, उपनगर बदले
बदल गए अब गाँव हमारे।
बदली गली, मुहल्ले बदले
बदलीं चौपालें – चौबारे ।।
बदली हवा, हसरतें बदलीं
बदल गए नर, बदली नारी।
बदला खानपान, रुचि बदली
बदल गई संस्कृति हमारी।।
युग परिवर्तन की बेला यह
इसमें अपने होश सँभालें।
साथ समय के चलना है तो
कल पर कोई काम न टालें।।
© महेश चन्द्र त्रिपाठी