कल खो जाएंगे हम
चल दिए एक निर्वाह पर
नित्य, सतत चलते जाएँगे
जाते जाते एक दिवा हम
खो जाएंगे इस भुवन में
जिसका उद्भव हुआ यहां
उसका व्रजन तय भव में
आज न कल वो जाएंगा
क्यों न लाख यत्न कर ले
सतत कोई हो, कैसा भी ?
फिर भी जाना ही होगा
चाहे हम मनुज हो या कोई
हर प्राणी को जाना ही होगा ।
इस हयात के चंद कायदे भी
होते इस अनुपम से भुवन में
आप किसी का भी कितना
उत्कृष्ट कर दो इस जहांन में
कुछ वासरों, दिवों के पश्चात
वो बिसराव ही जाती यहां से
आपके अवास्तविक को भी
कोई तत्क्षण न कोई भूलेगा
इस मुल्क में प्रसूति हुई तो
आज न कल खो जाएंगे ही
सतत जिस समय तक रहे …
तब तक मिल जुलकर रहे ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार