” कल की चिंता कौन करे ” !!
” कल की चिंता कौन करे ” !!
आज तुम्हारे नाम है अपना ,
कल की चिंता कौन करे !
समय यहाँ अठखेली करता ,
अपने सारे सपन झरे !!
हाड़तोड़ मेहनत करते तब ,
अपनी यहाँ गुजर होती !
नीली छतरी का सरमाया ,
अपनी जहाँ बसर होती !
काम खरा हो तब जाकर जग ,
यहाँ हथेली नगद धरे !!
दामन से तुमको बांधा है ,
पवन झकोरे करे हवा !
आतप के सम्मुख , मैं ठहरी ,
पलपल जैसे हुए जवां !
उम्मीदें रोशन लगती हैं ,
भाग बदा भी यहाँ टरे !!
धूप घनेरी , छाँव कहाँ है ,
अपने हिस्से तपन यहाँ !
कौन परायी पीर में उलझे ,
सब करते हैं ठगन यहाँ !
मीठे बोल को हम तरसे हैं ,
सब बोले हैं खरे खरे !!
बंजारिन आशाएं देखो ,
रंग नया भर जाती हैं !
उम्मीदों की डोर कसी तो ,
खुशियाँ झूमी जाती है !
है भविष्य भी बंधा बंधा सा ,
हम भी हैं कुछ डरे डरे !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )