कल कबआता है?
सपने कितने दिखलाता है
आनेवाला जो पल होता है
जो छूट गया वह नहीं मिलेगा
बीता कल यह बतलाता है।
मानव कल में ही जीता है
अनगिनत सपने बुनता है
वर्तमान की थाली में परोसा
दाना चैन से नहीं चुगता है।
सुनहरे एक ‘कल ‘की उम्मीद में
हाथ में आया ‘आज’ खोता है
अपने बीते कल की छाया से
‘आज ‘पर आवरण ढक देता है।
उसे आज और अभी कर लो
कल के लिए जिसे रख छोड़ा है
हाथ में आए या कि न आ पाए
कल हवा का वह घोड़ा है।
कल के पछतावे में न खो जाए
जीवन तो वैसे भी थोड़ा है
कल जीत निश्चित करता उसकी
जो आज सही समय पर दौड़ा है।
कल में जीना या कल पर रोना
सफलता के पथ में रोड़ा है
कितना भी रहे चतुर-सुजान
वक्त को किसने कब मोड़ा है?
‘कल’ तो बस एक छल होता है
‘आज’ सच्चाई का पल होता है
कल- आज, आज -कल होता है
बोलो कल फिर कब आता है?
खेमकिरण सैनी
बेंगलूरु
02.03.2020