कल एक छलावा है
कल एक छलावा है,
अपना आज जिसने वारा कल पर,
वो सदा ही हारा है,
कल क्या होगा,कौन जानता है,
कल का चिंतन,
व्यर्थ का दिखावा है,
वर्तमान ही है अपना,
इसी को तू संवार ले,
कल की चिंता में,
तू आज न अपना बिगाड़ ले,
आज खुल के जी,हंस ले,
अरमान पूरे कर ले,
जो भी कर तू,वर्तमान में कर ले,
भविष्य खुद ही संवर जाएगा,
जो तू वर्तमान को अपनाएगा,
कल महज़ एक छलावा है,
यह कभी न आएगा,
इसकी चिंता मत कर प्राणी,
तेरा आज ही तेरा कल बनाएगा,
तेरा आज ही तेरा कल बनाएगा !