कल आज और कल
कल आज और कल
कल थे पिताजी आज के पापा कल के लिए है डैड ।
कल थी खटिया आज है पलका चलन में डबल बेड ।।
समय का झरना झरता रहता कल आज और कल में।
कल दादाजी आज पिताजी है कल घर में बेटा हेड ।।
– ओमप्रकाश भार्गव , पिपरिया
कल आज और कल
कल थे पिताजी आज के पापा कल के लिए है डैड ।
कल थी खटिया आज है पलका चलन में डबल बेड ।।
समय का झरना झरता रहता कल आज और कल में।
कल दादाजी आज पिताजी है कल घर में बेटा हेड ।।
– ओमप्रकाश भार्गव , पिपरिया